एक अभिव्‍यक्ति

आज पुरानी डायरी में दो पंक्तियां दिख गई... 
सफाई का काम छोड़कर पहले उन्‍हें ही पोस्‍ट करने बैठा हूं... 
मेरी पद्य की दो-चार रचनाओं में से एक.... 



वक्‍त की मौज ने हमको देखा है एक बार 
अब तो हमीं याद करते हैं बिताए पलों को बार-बार









2 टिप्पणियाँ:

  1. डॉ .अनुराग Says:

    गोया के .....तब भी वक़्त से अदावत थी आपकी .....

    Posted on 14 मार्च 2010 को 4:26 am बजे  

    Udan Tashtari Says:

    बहुत खूब!

    Posted on 14 मार्च 2010 को 7:11 am बजे  

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