आज पुरानी डायरी में दो पंक्तियां दिख गई...
सफाई का काम छोड़कर पहले उन्हें ही पोस्ट करने बैठा हूं...
मेरी पद्य की दो-चार रचनाओं में से एक....
अब तो हमीं याद करते हैं बिताए पलों को बार-बार
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डॉ .अनुराग Says:
गोया के .....तब भी वक़्त से अदावत थी आपकी .....
Posted on 14 मार्च 2010 को 4:26 am बजे
Udan Tashtari Says:
बहुत खूब!
Posted on 14 मार्च 2010 को 7:11 am बजे